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मुझे I love you तो कहना नहीं आता
हां मगर, मेरी मोहब्बत की खुशबू तुम्हें बता सकती हूं
सूप में दालचीनी सी, सुबह की चाय सी तुमको तरोताजा कर सकती हूं
तुम जो बेस्वाद खाने को बड़ा अच्छा बना है
कह कर, बात टाल दिया करते हो
मैं उसमें तुम्हारा प्यार ढूंढ लिया करती हूं।
और हां मेरे अनवैक्सड चेहरे की जो तारीफ करते हो
वो भी मोहब्बत के गुलदस्ते में जोड़ लेती हूं।
मुझे शिखर की तलाश नहीं
ना लहरों से अकेले लड़ने की ज़िद है
ना ही अकेले कोई मुकाम हासिल करना चाहती हूं
बस भीड़ में तुम्हारा हाथ थामे, गलियों से गुजरना चाहती हूं
ऐसा नहीं के मैने आसमान छूने का ख्वाब कभी देखा नहीं
बस अब आसमान तुम्हारे साथ देखना का मज़ा ही कुछ और है
छोटे होते हुए इन आंखों ने बड़े सपने संजोए हैं
बस अब और सपने नहीं, हकीकत जीना चाहती हूं
मुझे I love you तो कहना नहीं आता
हां मगर, मेरी मोहब्बत का रंग तुम्हें बता सकती हूं
जब तुम्हारा हौसला कभी डगमगाए चट्टान बन सहारा दे सकती हूं
समंदर के नीलम से गहरा है, सुबह की लाली से भी लाल
बस इन्द्रधनुष सा नयारा है, इसे तुम से बांटना चाहती हूं।
Photo credit:
https://unsplash.com/photos/LaHo9Set3bI
simmi garg
December 23, 2020 @ 8:39 am
Beautifully written ??